अग्नि कांड हुआ तो किसके सिर होगी जिम्मेदारी ?
मोदीनगर। कोतवाली के निकट एवं मुरादनगर में संचालित तुलसीराम माहेश्वरी पब्लिक स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र छात्राओं का जीवन कभी भी संकट में पड़ सकता है, क्योंकि स्कूल संचालकों द्वारा अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल किए बगैर ही स्कूल का संचालन किया जा रहा है। जिससे यह गंभीर तथ्य उजागर हो रहा है कि स्कूल संचालक अग्निशमन विभाग के नियम व मानकों को अनदेखा कर स्कूल में इक्का-दुक्का अग्नि शमन उपकरणों को स्थापित करने की खानापूर्ति कर शिक्षा ग्रहण कर रहे मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़ करने पर उतारू है।
बता दें कि गत् एक अक्टूबर 2019 को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत अग्निशमन विभाग से सूचना मांगी गई थी कि तहसील क्षेत्र में संचालित हो रहे किन-किन पब्लिक स्कूल के संचालकों द्वारा विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल किया गया है। उक्त आरटीआई के जवाब में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय गाजियाबाद ने दिनांक 18/11/2019 को जारी पत्रांक संख्या 353/05(3111)/2019 तथा अग्निशमन अधिकारी मोदीनगर आरके यादव ने पत्रांक संख्या ज0सू0/एफ0एस0 मोदी0/2019 दिनांक 31अक्टूबर 2019 के माध्यम से आवेदक को जानकारी दी थी जिसमें बताया गया है कि तहसील क्षेत्र मे संचालित ज्यादातर पब्लिक स्कूल के संचालकों द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए कोई आवेदन ही नहीं किया गया है। दी गई सूचना के मुताबिक विभाग द्वारा सभी स्कूल संचालकों को निर्माण से पूर्व एवं निर्माण के उपरांत अग्निशमन सुरक्षा उपाय किए जाने हेतु निर्देशित किया जाता है। इसी नियम के अनुसार तहसील क्षेत्र में संचालित पब्लिक स्कूल के संचालकों को इस संबंध में जानकारी दी गई थी अथवा नहीं इसका कोई अभिलेख उनके कार्यालय में उपलब्ध ही नहीं है। अग्निशमन अधिकारी मोदीनगर आर के यादव द्वारा दिए गए आरटीआई के जवाब में जो चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए हैं उसमें गौरतलब तथ्य यह है कि तहसील क्षेत्र में संचालित हो रहे सैकड़ों छोटे-बड़े स्कूलों में से अधिकतर स्कूलों के पास अग्निशमन विभाग से जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र मौजूद ही नहीं है। जिससे पता चलता है कि ये स्कूल संचालक तो इन स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे मासूमों की जिंदगियों से खुलेआम खिलवाड़ कर ही रहे हैं साथ ही अग्निशमन विभाग भी तो इन संस्थानों द्वारा भवन निर्माण संहिता 2005 कि की जा रही अवहेलना के प्रति गंभीर नहीं है और न ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय में इस संबंध में योजित जनहित याचिका संख्या 483/ 2004 अवनीश कुमार मल्होत्रा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एवं अन्य में पारित माननीय न्यायालय के आदेश दिनांक 13 अप्रैल 2009 के अनुपालन में प्रदेश के स्कूलों एवं कॉलेजों में अग्नि सुरक्षा शासनादेश संख्या 1801/ 15 जुलाई 09-1(124) 2009, दिनांक 20 जुलाई 2009 के अनुसार निर्धारित प्रारूप में अनापत्ति संबंधी आख्या के अलावा मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन शिक्षा अनुभाग का शासनादेश संख्या 1528/ 79-6-08 दिनांक 20 जुलाई 2009 को भी नजरअंदाज कर रहे हैं। ऐसा इसलिए प्रतीत हो रहा है, क्योंकि आवेदक द्वारा इस संबंध में अग्निशमन विभाग से चाही गई जानकारी के तहत पत्र में विभागीय अधिकारियों से जानकारी मांगी गई थी कि क्या तहसील मोदीनगर क्षेत्र में संचालित हो रहे पब्लिक स्कूल के निर्माण के दौरान अथवा बाद में अग्निशमन विभाग द्वारा जारी निर्देशों अथवा नियमावली पर प्रबंधकों द्वारा अमल किए जाने के संबंध में कोई जांच की गई थी अथवा नहीं, साथ ही यह भी जानकारी मांगी गई थी कि स्कूलो के प्रबंधकों द्वारा पूर्व में एवं वर्तमान में अग्निशमन विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देशों की अवहेलना किए जाने का मामला अग्निशमन अधिकारियों के संज्ञान में आया था अथवा नहीं, यदि यह मामला विभागीय अधिकारियों के संज्ञान में था तो स्कूल के खिलाफ अग्निशमन विभाग द्वारा कोई विभागीय कार्यवाही अमल में लाई गई थी अथवा नहीं, इसके जवाब में अग्निशमन अधिकारी द्वारा आवेदन कर्ता को जानकारी दी गई कि इस संबंध में ना तो उक्त पब्लिक स्कूल प्रबंधकों के खिलाफ कोई कार्यवाही अमल में लाई गई, और ना ही इस संबंध में कभी विभाग द्वारा कोई जांच प्रक्रिया ही पब्लिक स्कूल के संबंध में अमल में लाई गई। अब सवाल यह उठता है कि यदि अग्निशमन विभाग तथा तहसील क्षेत्र में संचालित किए जा रहे सैकड़ों छोटे बड़े स्कूलों में कभी कोई अग्निकांड इन स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे मासूमों की जिंदगियों को लील लेता है इसके अलावा सरकार को हो रही राजस्व की हानि की जिम्मेदारी किसके सिर होगी।