जाट बनाम अन्य बिरादरी होते दिख रहे चुनाव में पंडित अमरपाल शर्मा की मजबूत मानी जा रहीं है दावेदारी...?

 मुश्किल नज़र आ रहीं डॉ साहब के लिए संसद की डगर..?


जाट बनाम अन्य बिरादरी होते दिख रहे चुनाव में पंडित अमरपाल शर्मा की मजबूत मानी जा रहीं है दावेदारी...?


रालोद एनडीए प्रत्याशी की राह में  उनकी बिरादरी, चुनाव चिन्ह, भाजपा, संघ, शत्रु सम्पत्ति,कम वोट प्रतिशत और जातिगत आंकड़े लगा सकते है अड़ंगा...?


डॉ सांगवान के लिए बड़ा शत्रु साबित हो सकता है शत्रु सम्पत्ति का मुद्दा


डबल एस फैक्टर की सक्रियता से आ सकते हैं चौकाने वाले परिणाम...?


बागपत लोकसभा से रालोद एनडीए के संयुक्त प्रत्याशी स्वयं ख़ुद डॉ राजकुमार सांगवान, रालोद और कमोबेश कुछ हार्ड कोर भाजपाई चुनाव में अपने प्रत्याशी की जीत को लेकर आश्वस्त हैं, लेक़िन जानकारी के अनुसार कुछ मुद्दे और समीकरण ऐसे बन रहे है जिनकी जद में डॉ साहब के संसद पहुंचे की डगर मुश्किल होती नज़र आ रहीं है और जाट बनाम अन्य बिरादरी होते दिख रहे चुनाव में इण्डिया गठबंधन प्रत्याशी पंडित अमरपाल शर्मा की दावेदारी मजबूत मानी जा रहीं है? 

इण्डिया गठबंधन से पं अमरपाल को प्रत्याशी घोषित किए जाने से पूर्व रालोद एनडीए प्रत्याशी डॉ सांगवान की जीत एक तरफ़ा मानी जा रहीं थी लेक़िन हालिया परिवेश में हालात तेजी से बदले हैं और इन बदले हालातों के जेरेसाया उनका चुनाव बेहद टाइट नजर आ रहा है? गत एक सप्ताह के दरमियान डॉ सांगवान के विपरीत चलनी शुरू हुई हवा के कारणों पर गौर करें तो रालोद एनडीए प्रत्याशी डॉ राजकुमार सांगवान के लिए उनकी बिरादरी यानि उनका जाट बिरादरी से होना, उनका चुनाव चिन्ह नल, भाजपा व संघ के लोगों की  बताई जा रहीं निष्किर्यता, शत्रु सम्पत्ति का मुद्दा,प्रथम चरण में हुआ कम वोट प्रतिशत और जातिगत आंकड़े उनकी जीत की राह में अड़ंगा लगाते दिखाई दे रहे हैं? इसके अलावा डॉ सांगवान के खिलाफ डबल एस फैक्टर की सक्रियता और किसान यूनियनों की रालोद मुखिया जयंत चौधरी द्वारा भाजपा से गठबंधन करने के उठाए गए कदम व भाजपा के किसान विरोधी लिए गए फैंसलों से पनपी नाराजगी उनके लिए चौकाने वाले परिणाम पेश कर सकती है?

मैंने अपने पूर्व के लेख में जिक्र किया था कि डॉ राजकुमार सांगवान के समक्ष उनकी बिरादरी यानी उनका मार्शल कोम  से होना तथा उनका चुनाव चिन्ह हैंड पंप उनकी जीत की राह में सबसे बड़ी अटकल साबित हो सकता है,कुछ लोगों द्वारा यहां यह दावा पेश किया जा सकता है कि बागपत लोकसभा सीट से ज्यादातर चुनाव में मार्शल कोम यानी जाट प्रत्याशी ही जीत दर्ज करते चले आ रहे हैं लेकिन यहां इन बिंदुओं पर भी गौर करना होगा कि उस दौरान मोदीनगर शहर बागपत लोकसभा सीट के अंतर्गत नहीं आता था और जहाँ तक मोदीनगर का सवाल है तो नगर का स्वभाव रहा है कि यहाँ के लोगों ने कभी भी किसी दबंग व्यक्ति अथवा बिरादरी को स्वीकार नहीं किया है इसका सबसे बड़ा उदाहरण जय भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित के तौर पर देखा जा सकता है बता दे कि जब  गुड्डू पंडित यहाँ से चुनाव लड़े थे तो मोदीनगर के मतदाताओं ने उनकी दबंग छवि को अस्वीकार करते हुए उन्हें हराने का काम किया था अब यदि डॉक्टर सत्यपाल सिंह का जिक्र करें तो यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि उनका चुनाव निशान कमल का फूल था जिसे भाजपाइयों ने हाथों-हाथ लिया था इसके अलावा 2014 और 2019 में मोदी लहर भी डॉक्टर सत्यपाल सिंह की जीत में अहम भूमिका निभाने वाली साबित हुई थी। सूत्र बताते हैं कि नगर की जनता जिसमें बड़ी संख्या भाजपा मतदाताओं की है के मन में एनडीए गठबंधन से मार्शल कौम से ताल्लुक रखने वाले डॉक्टर राजकुमार सांगवान और नल का निशान असहजता की स्थिति पैदा किए हुए हैं भाजपा के समर्थक मतदाताओं की मनोदशा पर गौर करें तो चर्चा है कि इन चुनाव में भाजपा मतदाताओं का बड़ा तबका चुनाव से विमुख हो सकता है और हो सकता है कि वह मतदान केंद्रों का रुख ही ना करें जिसका सीधा-सीधा खामयाजा डॉ राजकुमार सांगवान को उठाना पड़ सकता है? इसके अलावा ऐसी भी चर्चा है कि भाजपा और संघ भी इन चुनावों में रालोद एनडीए गठबंधन प्रत्याशी डॉक्टर राजकुमार सांगवान के लिए वोट मांगता दिखाई नहीं दे रहा है वहीँ नगर में शत्रु संपत्ति का मुद्दा भी भाजपा रालोद प्रत्याशी के गले की फांस बनता नजर आ रहा है बता दें कि शत्रु संपत्ति मामले से करीब 40 हजार लोग प्रभावित हैं और उनके मन में भाजपा को लेकर भारी रोष बताया जा रहा है यही कारण है कि शत्रु संपत्ति से प्रभावित 40 हजार मतदाताओं की नाराजगी भी डॉक्टर राजकुमार सांगवान को झेलनी पड़ सकती है? साथ ही भाजपा और अन्य राजनीतिक पार्टियों के लिए इन चुनावों में कम मतदान प्रतिशत भी सर दर्द पैदा कर रहा है क्योंकि कम मतदान प्रतिशत बताता है कि उच्च वर्ग मतदान केंद्रों का रुख नहीं कर रहा है यदि दूसरे चरण के चुनाव में भी मतदान प्रतिशत गिरता है तो इसका खामियाजा भी रालोद एनडीए प्रत्याशी को उठाना पड़ेगा ऐसी आशंका जताई जा रहीं है,इसके अलावा कुछ जाट बिरादरी और किसान यूनियन भी जयंत चौधरी द्वारा एनडीए से किए गए गठबंधन से नाराज बताए जा रहे हैं और सूत्रों से मिल रही जानकारी को सच माने तो किसान यूनियन और जाट मतदाताओं का एक बड़ा तबका रालोद एनडीए प्रत्याशी के विरोध में मतदान करने पर एकमत होता बताया जा रहा? इस तथ्य पर बुधवार को बागपत में हुई सर्वधर्म   की एक सभा में रालोद एनडीए प्रत्याशी को मतदान न करने का आवाहन करता वायरल हो रहा वीडियो सच्चाई की मोहर लगा रहा है। रालोद एनडीए प्रत्याशी डॉ राजकुमार सांगवान की जीत में उपरोक्त तथ्य तो रुकावट पैदा कर ही रहे हैं इसके अलावा उनके खिलाफ डबल एस यानी सांसद डॉक्टर सत्यपाल सिंह और पूर्व गवर्नर सतपाल मलिक का विरोधी रुख भी मुश्किलें पैदा कर रहा है? चर्चा है कि डॉक्टर सत्यपाल सिंह अपनी पुत्री के लिए बागपत लोकसभा से टिकट मांग रहे थे लेकिन भाजपा आलाकमान ने ना सिर्फ उनका टिकट काट दिया साथ ही उनकी बेटी की उम्मीदवारी भी पूरी तरह से ख़ारिज कर दी। सूत्र बताते हैं कि अपना और अपनी पुत्री का टिकट काटे जाने से डॉक्टर सत्यपाल सिंह और उनके समर्थकों जिसमे बड़ा जाट तबका और अन्य बिरादरियां शामिल है के मन में निराशा और बेहद नाराजगी है, जिसके चलते उनके समर्थक डॉ राजकुमार सांगवान का भीतरखाने और कहीं कहीं खुलकर विरोध कर रहे हैं। इसके अलावा बागपत लोकसभा क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले और जम्मू कश्मीर के पूर्व गवर्नर सतपाल मलिक जो की पुलवामा के मामले में मोदी सरकार को गाहे बगाहे घेरते चले आ रहे हैं के समर्थक भी एनडीए रालोद प्रत्याशी को हराने के लिए भीतर खाने मिशन चलाए हुए ऐसी जानकारी मिल रहीं है। उक्त तमाम बिंदु रालोद एनडीए प्रत्याशी डॉक्टर राजकुमार सांगवान के लिए संसद की डगर कठिन बनाने का कार्य तो कर ही रहे हैं इसके अलावा डॉ राजकुमार सांगवान के मार्शल काम व उनका चुनाव निशान नल होने के साथ-साथ इंडिया गठबंधन से प्रत्याशी घोषित किए गए पंडित अमरपाल शर्मा के पक्ष में लामबंद होते त्यागी, ब्राह्मण, राजपूत, मुस्लिम, यादव, प्रजापति,कोरी  सैनी,कश्यप और मोदीनगर का व्यापारी वर्ग डॉ राजकुमार सांगवान के लिए यह चुनाव कठिन बनाने का कार्य कर रहे हैं ऐसी चर्चाएं हैं बताया जाता है कि रही सही कसर मायावती ने गुर्जर बिरादरी से प्रवीण बैंसला को लोकसभा प्रत्याशी के तौर पर उतार कर पूरी कर दी है क्योंकि प्रवीण बैंसला गुर्जर बिरादरी से आते हैं और गुर्जर व अनुसूचित जाति का मतदाता इस चुनाव में बड़ी मात्रा में प्रवीण बैसला को वोट करता बताया जा रहा है हालाँकि गत चुनाव में गुर्जर और बड़ी संख्या में एससी मतदाताओं ने भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट किया था लेकिन क्योंकि अब बसपा का प्रत्याशी गुर्जर बिरादरी से मैदान में है तो इसकी अधिक संभावनाएं जताई जा रही है कि गुर्जर भाजपा को वोट ना कर अपने बिरादरी के प्रत्याशी को मतदान करेगा ? जिसका सीधा-सीधा नुकसान रालोद एनडीए प्रत्याशी डॉ राजकुमार सांगवान को उठाना पड़ सकता है? इसमें कोई दो राय नहीं है। इन तमाम बिंदुओं और समीकरणों से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि रालोद एनडीए प्रत्याशी डॉ राजकुमार सांगवान के लिए आसान समझा जाने वाला यह चुनाव बेहद कठिन मोड पर आकर खड़ा हो गया। कल यानि 26 अप्रैल को बागपत लोकसभा सीट पर मतदान होना है इस बीच मतदाताओं के मन में यह गुणा भाग चल रहा बताया जा रहा है कि वे मंत्रों, पूजा पाठ,ईश्वर नाम की माला जपने और शांति प्रिय सहज बिरादरी का प्रतिनिधित्व करने वाले ब्राह्मण प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करें या फिर मार्शल कौम और छोटी छोटी बात पर लक्कड़ महाराज की जय बोलने वालों की पार्टी कही जाने वाली के प्रत्याशी के चुनाव निशान के सामने वाला बटन दबाएं!