अयोध्या मामले में आए फैसले को सभी धर्मों के लोगों  ने बताया नजीर 

फैसले की मुक्तकंठ से सराहना करते हुए हृदय से किया स्वागत


मोदीनगर (अनवर ख़ान)। अयोध्या मामले के जिस फैसले की देशवासी बड़ी ही अधीरता से प्रतीक्षा कर रहे थे, शनिवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए इस ऐतिहासिक फैसले का सभी धर्मों के लोगों ने सम्मान करते हुए दिल से स्वागत किया। इस फैसले पर विभिन्न राजनैतिक दलों के नेताओं, उद्यमियों, व्यापारियों तथा क्षेत्रवासियों से सर्च आउट ने चर्चा कर उनकी प्रतिक्रिया जानी।
 
भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष सत्यवीर राघव


ने फैसले को न्यायसंगत बताते हुए कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिया गया यह फैसला देशवासियों के बीच एकता को और अधिक मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि इस फैसले पर संयम और धैर्य का जो परिचय दोनों पक्षों द्वारा दिया गया है, यही अखंड भारत की पहचान है। 


प्रसिद्ध जैन शिकंजी के स्वामी वरिष्ठ समाजसेवी सतीश जैन


ने फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान हर पहलू का गहराई से अध्ययन किया है। उसके उपरांत उनके द्वारा दिए गए इस ऐतिहासिक निर्णय में दोनों पक्षों की भावनाओं का पूरा ख़्याल‌ रखा गया है। 


बेगमाबाद स्थित शाही जामा मस्जिद के इमाम और जमियत उलेमा-ए-हिंद के जिला उपाध्यक्ष कारी मोहम्मद आरिफ़


ने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया यह फैसला अपने आप में एक नज़ीर है। उन्होंने कहा कि वे भारत की आवाम को बधाई देते हैं जिसने इस फैसले को सिर आंखों पर रखकर पूरी दुनिया को भाईचारे और मुहब्बत का पैग़ाम दिया है। और वतन ए हिंदुस्तान का सिर सारी दुनिया में ऊंचा किया है।


वरिष्ठ समाजसेवी शिक्षाविद् चानन लाल ढींगरा


ने फैसले की तारीफ करते हुए कहा कि यह फैसला देशहित में है। माननीय सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ में शामिल न्यायाधीशों ने यह फैसला देश और समाज को देखते हुए लिया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट के निर्णय हमेशा एकपक्षीय होते हैं किंतु इस फैसले में दोनों पक्षों की भावनाओं का ख्याल रखा गया है और दोनों ही पक्षों का पूरा सम्मान किया गया है।


एक नामी कंपनी में सीनियर इंजिनियर के पद पर कार्यरत अब्दुल कादिर


ने फैसले को संतुलित बताते हुए कहा कि यह फैसला भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश के वासियों को एकता के सूत्र में पिरो रहा है। देश के उलेमाओं ने भी इस फैसले को खुले दिल से स्वीकार किया है। भाईचारा इस देश की ख़ूबसूरती है, फैसले के बाद सभी धर्मों के लोगों ने मिलकर इसे कायम रखा है और आगे भी कायम रखेंगे।


निष्काम सेवक जत्थे के अध्यक्ष सरदार जसमीत सिंह


ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश रहा है। और भारत देश में सभी धर्मों के लोगों के बीच प्यार, मोहब्बत और भाईचारे की गौरवशाली परंपरा रही है। उन्होंने कहा जिस देश में अयोध्या मामले की सुनवाई पर जाते समय दोनों पक्षकार एक दूसरे को दुआ सलाम करना नहीं भूलते थे। तो उस देश की जनता ने भी फैसले को शिरोधार्य कर उसी सद्भाव की परंपरा का निर्वाह किया है।