जागरूकता के अभाव में अति कुपोषण का शिकार हो रहे बच्चे एवं बालिकाएं : आरती राठी 

सरकार ने हाल ही में शुरू की है पोषक पोटली नाम से मुफ्त 5 किलो पोषक आहार व आधा किलो शुद्ध देसी घी मुहैया कराए जाने की योजना


मोदीनगर(योगेश गौड़)। अभिभावकों में जागरूकता की कमी के चलते ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में बच्चे एवं बालिकाएं अति कुपोषण का शिकार हो रही हैं, यह कहना है बाल विकास परियोजना भोजपुर ब्लॉक की प्रभारी आरती राठी का। आरती राठी ने बेटी दिवस पर सर्च आउट को दिए साक्षात्कार में बच्चों और बालिकाओं में बढ़ते कुपोषण के लिए अभिभावकों कि बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति बरती जा रही लापरवाही को मुख्य कारण बताया। आरती राठी के अनुसार अभिभावको मे बच्चों को किस उम्र में किस तरह का पुष्टाहार उपलब्ध कराया जाना चाहिए इसके प्रति जानकारी का नितांत अभाव है। आरती राठी ने जानकारी दी कि भोजपुर ब्लॉक के विभिन्न ग्रामों में समय-समय पर कराए गए विभागीय सर्वे के दौरान करीब ढाई सौ बच्चे अति कुपोषण से ग्रस्त पाए गए। उन्होंने बताया कि जल्द ही ब्लाक भोजपुर के विभिन्न गांव में अति कुपोषण से ग्रस्त पाए गए इन बच्चों के स्वास्थ्य की जांच 23 सितंबर से 26 सितंबर तक मोदीनगर के निजी चिकित्सालयों में कराई जाएगी, ग्रामीण क्षेत्रों से इन कुपोषित बच्चों को लाने वह वापस घर छोड़ने की जिम्मेदारी ब्लॉक वहन करेगा जिसके लिए इन बच्चों को लाने ले जाने के लिए वाहनों का प्रबंध किया गया है। साथ ही उन्हें किस प्रकार का भोजन किस उम्र में लेना है तथा किस मात्रा में लेना है इसकी जानकारी भी उन बच्चों के अभिभावकों को मुहैया कराई जाएगी ताकि बच्चे उम्र के हिसाब से सही प्रोटीन, फास्फोरस, कार्बोहाइड्रेट्स, कैल्शियम तथा विटामिन की मात्रा लें जिससे वे कुपोषण तथा एनीमिया जैसी बीमारियों से ग्रस्त होने से बच सकें। आरती राठी ने बताया कि सरकार द्वारा हाल ही में पोषक पोटली के नाम से एक योजना का शुभारंभ किया है जिसके तहत हाल ही में ब्लॉक भोजपुर पर कैंप लगाकर 11 वर्ष से 14 वर्ष तक की स्कूल न जाने वाली किशोरियों को एक 5 किलो की पोषक पोटली माननीय सांसद एवं पूर्व राज्यमंत्री मंत्री भारत सरकार डॉक्टर सत्यपाल सिंह के द्वारा वितरित की गई थी। सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही इस पोषक पोटली में 2 किलो उड़द की दाल 2 किलो चने वह 1 किलो ज्वार के अलावा आधा किलो देसी घी का पैकेट मुफ्त दिया जाना सुनिश्चित है। आरती राठी ने बताया कि अति कुपोषित तथा कुपोषित हो रहे बच्चों एवं युवतियों के परिजनों को समय-समय पर आंगनबाड़ियों द्वारा इस संबंध में जागरूक करने का प्रयास किया जाता है, लेकिन देखने में आया है कि महिलाएं समय-समय पर मुहैया कराई जाने वाली जानकारियों  से संबंधित कार्यक्रमों मैं हिस्सा तो लेती हैं किंतु उनके द्वारा मुहैया कराए जाने वाली जानकारियों को गंभीरता से अमल में लाने में कोताही बरतती हैं, जिसके चलते सरकारों द्वारा चलाए जा रहे कुपोषण दूर करने संबंधी अभियानों को सही तरह से लागू कराए जाने में परेशानियां आ रही हैं। आरती राठी ने बताया कि अभिभावकों को अपने बच्चों को किस उम्र में खाद्य पदार्थों के तौर पर क्या खुराक देनी है तथा कितनी मात्रा में देनी है इसका ज्ञान नहीं है यही कारण है कि बच्चों एवं युवतियों में कुपोषण के अलावा एनीमिया जैसी बीमारियां देखने को मिल रही हैं । आरती राठी के अनुसार उनके विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में समय-समय पर चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के तहत अभिभावकों को उनके बच्चों को ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियां तथा अंकुरित दालें व चना आदि दिए जाने की सलाह दी जाती है, किंतु अभिभावक इस और ध्यान नहीं देते जिससे सरकार की योजनाएं परवान नहीं चढ़ पाती, उन्होंने कहा कि जब युवतियां एनीमिया व कुपोषण का शिकार होंगी तो विवाह के उपरांत पैदा होने वाले उनके बच्चे भी कुपोषित और एनीमिया जैसी बीमारियों से ग्रस्त ही पैदा होंगे, इसलिए अभिभावकों को यह बात समझ कर 11 साल की किशोरियों को पोषक भोजन देने की आवश्यकता है ताकि वे कुपोषण और एनीमिया  जैसी बीमारियों से दूर रहें और आने वाली पीढ़ी भी कुपोषण व रक्त संबंधी बीमारियों को मात देने में सफल हो।